" मेरे सर्वव्यापी साईं,कहाँ-कहाँ ढूंढी हर घड़ी मैं "
घनघोर आँधियों से लड़ता रहा दीया
सारी रात तेरी याद में जलता रहा पिया,
सारी रात तेरी याद में जलता रहा पिया,
चैन दिन नहीं नींद आती नहीं है रात
रूतों ने ख़ूब ठगा है दे दे के झूठी आस
भरा आँखों में समन्दर बुझती नहीं है प्यास
प्रभु दरश को तेरे क्या-क्या लगाती रही कयास,
रूतों ने ख़ूब ठगा है दे दे के झूठी आस
भरा आँखों में समन्दर बुझती नहीं है प्यास
प्रभु दरश को तेरे क्या-क्या लगाती रही कयास,
प्राणों की दे दे आहुति घुलता रहा दीया
सारी रात तेरी याद में पिघलता रहा पिया
घनघोर आँधियों से लड़ता रहा दीया
सारी रात तेरी याद में सुलगता रहा पिया ।
सारी रात तेरी याद में पिघलता रहा पिया
घनघोर आँधियों से लड़ता रहा दीया
सारी रात तेरी याद में सुलगता रहा पिया ।
आकाश में पाताल में,गिरि,कन्दरा,गुफ़ा में
पर्वत,शिखर में हेरा रे कण-कण चहुँदिशा में
उपत्यका में ढूंढा प्रभु दिग्-दिगन्त मधु निशा में
पर्वत,शिखर में हेरा रे कण-कण चहुँदिशा में
उपत्यका में ढूंढा प्रभु दिग्-दिगन्त मधु निशा में
किस गह्वर में है समाधिस्थ,बता दे किस विभा में,
निर्वस्त्र बारिशों में भींगता रहा दीया
सारी रात तेरी याद में गलता रहा पिया
घनघोर आँधियों से लड़ता रहा दीया
सारी रात तेरी याद में तड़पता रहा पिया ।
सारी रात तेरी याद में गलता रहा पिया
घनघोर आँधियों से लड़ता रहा दीया
सारी रात तेरी याद में तड़पता रहा पिया ।
वेदों में तुझको ढूंढा,गीता,बाइबिल,कुरान में
प्रतिध्वनि में घण्टियों के,ढूंढा आरती,अजान में
गुलों से जंगलों से पूछा प्रभु मेरे हैं किस जहान में
प्रतिध्वनि में घण्टियों के,ढूंढा आरती,अजान में
गुलों से जंगलों से पूछा प्रभु मेरे हैं किस जहान में
विलख गंगा तट पे ढूंढा विक्षिप्त उर्मियों की तान में,
चाँद-तारों के संग-संग चलता रहा दीया
सारी रात तेरी याद में ढलता रहा पिया
सारी रात तेरी याद में ढलता रहा पिया
घनघोर आँधियों से लड़ता रहा दीया
सारी रात तेरी याद में कलपता रहा पिया ।
सारी रात तेरी याद में कलपता रहा पिया ।
नब्ज़ धर सके ना,कोई वैद्य और हक़ीम
जाने ये मर्ज़ कैसा,करे कोई काम ना तावीज़
आत्मा के देवधाम में,वक्ष के देवालय पे काबिज़ ,
धुनि रमाते बैठे उर की तलहटी में प्रभु मेरे अज़ीज़,
जाने ये मर्ज़ कैसा,करे कोई काम ना तावीज़
आत्मा के देवधाम में,वक्ष के देवालय पे काबिज़ ,
धुनि रमाते बैठे उर की तलहटी में प्रभु मेरे अज़ीज़,
कैसे कैसे द्वन्द्वों से झूझता रहा दीया
सारी रात तेरी याद में ऊंघता रहा पिया
घनघोर आँधियों से लड़ता रहा दीया
सारी रात तेरी याद में मचलता रहा पिया ।
सारी रात तेरी याद में ऊंघता रहा पिया
घनघोर आँधियों से लड़ता रहा दीया
सारी रात तेरी याद में मचलता रहा पिया ।
श्वासों की कड़ी में,धड़कनों की हर लड़ी में
मेरे सर्वव्यापी साईं,कहाँ-कहाँ ढूंढी हर घड़ी मैं
व्याप्त लोम-लोम में,बसे हृदय निलय में,अँतड़ी में
मेरे सर्वव्यापी साईं,कहाँ-कहाँ ढूंढी हर घड़ी मैं
व्याप्त लोम-लोम में,बसे हृदय निलय में,अँतड़ी में
देखी मन का चक्षु खोल स्वामी,रह गई ठगी खड़ी मैं,
खुद के लौ की आँच में सिंकता रहा दीया
सारी रात तेरी याद में तपता रहा पिया
घनघोर आँधियों से लड़ता रहा दीया
सारी रात तेरी याद में सिसकता रहा पिया ।
सारी रात तेरी याद में तपता रहा पिया
घनघोर आँधियों से लड़ता रहा दीया
सारी रात तेरी याद में सिसकता रहा पिया ।
उर्मियों--तरंग,लहर अज़ीज़--प्रिय काबिज़--कब्जा,
सर्वाधिकार सुरक्षित
शैल सिंह
शैल सिंह
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