मंगलवार, 1 जुलाई 2014

विदेशी भाषा अंग्रेज़ी

           विदेशी भाषा अंग्रेज़ी


हिंदुस्तान में ही जब शाख़ नहीं हिंदी की तो कैसा हिंदुस्तान
जिस भाषा को ढाल बना लड़ा था देश जो स्वाधीनता संग्राम

जहाँ की रीति,प्रीति,संस्कृति,प्रकृति में कण-कण बसी है हिंदी
विदेशी भाषा अंग्रेज़ी,भारतीय सभ्यता की अभिव्यक्ति है हिंदी

जैसे ब्रिटिश सत्ता के साथ आई थी अंग्रेज़ी बन कर यहाँ मेहमान
वैसे ही यहाँ से हिंदी के धुरंधर विद्वान इसे विदा कर दें ससम्मान

राजभाषा को सुदृढ़ करना,देश के नागरिकों को आगे आना होगा 
मधुरस घोलने वाली हिंदी को दृढ़ता से सबल,सशक्त बनाना होगा 

जयललिता,करूणानिधि जैसे अंग्रेजी की करें हिमायत रहें हितैषी
राजभाषा के राजद्रोहियों के विलाप को करना होगा ऐसी की तैसी

अंग्रेजी भक्त पी.चिदंबरम खूब करें तीमारदारी इसकी तरफदारी
हिंदुस्तान में नहीं होगी बाहरी भाषा की ईज्जतदारी से खातिरदारी

अंग्रेजी मोहित लोग यहाँ से जाकर करें ग़ुलामी अंग्रेजों के देश
देश भक्तों को अपनानी अपनी राजभाषा जो लगती सबसे श्रेष्ठ

क्षेत्र है इसका व्यापक इतना आसानी से बोला समझा जाता है
हिंदी के प्रचार,प्रसार पर क्यों राजनीति करने वाला घबराता है

जिसे गाँधी जी ने अपनाया,महिमा मण्डन मोदी ने कर दी इतनी
नहीं रहेगी अंग्रेजी की नानी चाहे उसकी हनक ठसक हो जितनी

अंग्रेजी उपभोक्तावाद की जननी सुसंस्कृत नागरिक बनाती हिंदी
भारत के मन का सौंदर्यबोध कराती सर्वसम्पन्न वर्णमाला ही हिंदी

जिसने कवि हृदय को भाव दिया विराट सम्मोहन में सबको बाँधा
उसी साम्राज्य में आधिपत्य जमा अंग्रेज़ी ने हिंदी को कितना साधा

जिसे गांधी ने पाप कहा नेहरू ने कहा जिसको बरदाश्त से बाहर
उसे देश के विशाल भौगोलिक क्षेत्र से बेदखल कर,करना है बाहर ।

                                                                          शैल सिंह






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