सोमवार, 17 अप्रैल 2023

पिरो दी हूँ एहसास दिल का अल्फ़ाज़ों में


हजारों ख़्वाहिशें भी ठुकरा दूँगी तेरे लिए
तूं ख़ुश्बू सा बिखर जा साँसों में मेरे लिए ।

ग़र मुकम्मल मुहब्बत का दो तुम आसरा
तुझे दिल में नज़र में अपने बसा लूँगी मैं
माँगकर तुझको मन्नत में हमदम ख़ुदा से
नाम की तेरे मेंहदी हथेली में रचा लूँगी मैं ।

सजाऊँ दिल में अक़्स ग़ैर का आसां नहीं
गिरफ़्तार इस क़दर हूँ तेरी मोहब्बत में मैं
ऐसे गुजरा करो ना यूँ कतराकर बग़ल से 
समझती ख़ुद को रईस तेरी सोहबत में मैं ।

लगे बिन तुम्हारे जहाँ में कोई अपना नहीं 
रहे हाथों में तेरे हाथ मेरा,बस सपना यही
डूब मर जाना क़ुबूल तेरे ईश्क़ की नदी में 
मगर तुझसे बिछड़ कर जीना तमन्ना नहीं ।

जरा दे दो तसल्ली तुम अपना बनाने की
नामंजूर तेरे आगे सारी ख़ुशियाँ जहाँ की
पिरो दी हूँ दिल का एहसास अल्फ़ाज़ों में
करो दिल पे हुकूमत तुम मैं मना कहाँ की ।

अब तक हैं फ़ासले क्यों तेरे मेरे दरमियाँ 
क्या मुझमें कमी है कैसी मुझमें ख़ामियाँ
दिल के दर्पण में नक़्श तेरा जो संवारी हूँ
उसके आगे लगे मुझे फीकी सारी दुनिया ।

सर्वाधिकार सुरक्षित 
शैल सिंह 

5 टिप्‍पणियां:

  1. माँगकर तुझको मन्नत में हमदम ख़ुदा से
    हथेली में नाम की तेरे मेंहदी रचा लूँगी मैं ।
    वाह!!!!

    जवाब देंहटाएं
  2. मुहब्बत ने दीवाना बना दिया ।
    बेहतरीन

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत-बहुत आभार आपका,बहुत दिनों बाद देखी प्रतिक्रिया आपकी

    जवाब देंहटाएं

बे-हिस लगे ज़िन्दगी --

बे-हिस लगे ज़िन्दगी -- ऐ ज़िन्दगी बता तेरा इरादा क्या है  बे-नाम सी उदासी में भटकाने से फायदा क्या है  क्यों पुराने दयार में ले जाकर उलझा रह...